




सीजीआईटी सह श्रम न्यायालय नई दिल्ली में शुक्रवार को हुई सुनवाई
ऋषिकेश, उत्तराखंड:
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान, एम्स ऋषिकेश से निकल गए 56 संविदा कर्मियों में से 11 कर्मियों को सह श्रम न्यायालय नई दिल्ली ने बड़ी राहत देते हुए एम्स प्रशासन को इन सभी कर्मियों को तत्काल संबंधित पदों पर वापस लेने के आदेश जारी किए हैं।
उल्लेखनीय है कि बीते 2 सितंबर को एम्स प्रशासन की ओर से यहां पिछले 10 -12 वर्षों से सेवारत संविदा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने के आदेश जारी किए थे। यह सभी कर्मचारी एम्स के बाहर शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर रहे थे। इनमें से कुछ संविदा कर्मियों का वाद सीजीआईटी सह श्रम न्यायालय नई दिल्ली में विचाराधीन चल रहा था। सेवा समाप्ति के बाद इन सभी संविदा कर्मचारियों ने श्रम न्यायालय नई दिल्ली से न्याय की गुहार करते हुए सेवा बहाली की मांग करने के साथ-साथ एम्स प्रशासन के निर्णय को न्यायालय की अवमानना बताया था। संबंधित मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी पंत मामले की सुनवाई कर रहे थे।
शुक्रवार को श्रम न्यायालय में सुनवाई की तिथि निर्धारित की गई थी। न्यायालय में संविदा कर्मियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अंकुर यादव ने पैरवी की। जबकि एम्स प्रशासन की ओर से विधि अधिकारी प्रदीप पांडे उपस्थित हुए।
वादी पक्ष के अधिवक्ता अंकुर यादव ने बताया कि न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि स्पष्ट निर्देश के बावजूद प्रबंधन ने दावेदारों की सेवाएं समाप्त करने का निर्णय लिया है, जो पूरी तरह से इस न्यायाधिकरण की अवमानना है और इसके लिए दंडात्मक कार्रवाई का कारण बनता है।
न्यायालय ने प्रबंधन को निर्देश दिए कि वह तत्काल संबंधित 11कर्मचारी त्रिलोक सिंह खरोला, सुभाष रतूड़ी, अश्वनी कुमार, काकुल बेलवाल, कमल जोशी, नरेश भट्ट, विनोद थपलियाल, भानु प्रताप, अनुराग पंत, शैलेंद्र सिंह बिष्ट और नरेंद्र को तत्काल उनके संबंधित पदों पर वापस ले।
अधिवक्ता के अनुसार न्यायालय ने यह भी कहा कि इस निर्देश का पालन न करने पर प्रबंधन के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। जिसमें संबंधित निदेशक को तलब किया जाना भी शामिल है। इस आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट आगामी 30 सितंबर को न्यायालय में पेश की जाएगी।

