
✍🏻 निकाले गए कर्मचारियों की गेट नंबर तीन पर सुरक्षा कर्मियों ने की नो एंट्री, नोंक-झोंक
✍🏻 हाई कोर्ट में कर्मचारियों के अधिवक्ता ने पत्र के जरिए न्यायालय को हालात से अवगत कराया
ऋषिकेश,उत्तराखंड;
एम्स ऋषिकेश से निकल गए 56 संविदा कर्मियों के मामले में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। एम्स प्रशासन के निर्देश पर बुधवार सुबह इन सभी संविदा कर्मचारियों को एम्स के गेट नंबर तीन पर सुरक्षा गार्डों ने रोक दिया है। सुरक्षा व्यवस्था इतनी सख्त कर दी गई की नियमित ड्यूटी पर आने वाले कर्मचारियों के भी परिचय पत्र की जांच की गई। एम्स परिसर के भीतर निदेशक कार्यालय को जाने वाले सभी रास्तों पर बैरिकेडिंग लगाकर सुरक्षा कर्मियों की तैनाती कर दी गई। नगर निगम के कई पार्षद मौके पर पहुंचे और उन्होंने इन कर्मचारियों के समर्थन में नारेबाजी कर प्रदर्शन किया।
एम्स ऋषिकेश में वर्षों से कार्यरत 56 संविदा कर्मचारियों की प्रशासन की ओर से दो सितंबर से सेवाएं समाप्त कर दी गई। तभी से यह सभी लोग निदेशक कार्यालय के समीप परिसर में शांतिपूर्ण धरना दे रहे थे। बुधवार की सुबह अचानक गेट नंबर तीन पर निकाले गए इन सभी कर्मचारियों को एम्स परिसर में जाने से रोक दिया गया। सुरक्षा कर्मियों से कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि प्रशासन के आदेश है। इन सभी निकाले गए कर्मचारियों ने इस कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया।

सूचना मिलने पर क्षेत्रीय सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के एम्स में प्रतिनिधि राजेंद्र प्रेम सिंह बिष्ट, पार्षद आशु डंग, हर्षवर्धन रावत, सोनू प्रभाकर, प्रिंस मनचंदा, देवेंद्र प्रजापति, चेतन चौहान, एकांत गोयल, नवीन नौटियाल एम्स के गेट नंबर तीन पर पहुंचे। गेट पर रोके गए एम्स के इन निकाले गए संविदा कर्मियों के साथ इन्होंने बातचीत की और अपना समर्थन दिया।
पार्षद राजेंद्र प्रेम सिंह बिष्ट ने कहा कि जब तक निकाले गए इन कर्मचारियों को बिना शर्त फिर से सेवा पर नहीं रखा जाता तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि एम्स प्रशासन की हठधर्मिता ही कही जाएगी जो इन संविदा कर्मियों का मामला न्यायालय में विचार दिन होने के बावजूद इन्हें सेवा से निकाले जाने की प्रशासन जुर्रत कर रहा है।
उन्होंने कहा कि इन सभी कर्मचारियों को यहां काम करते हुए 10 से 12 वर्ष हो चुके हैं। इन सभी का कार्य संतोषजनक है, इनकी समर्पित सेवाओं को नजरअंदाज कर इन्हें सेवा से निकल जाना न्याय संगत नहीं है। इस दौरान एम्स के मुख्य सुरक्षा अधिकारी इन कर्मचारियों से बातचीत के लिए पहुंचे। इन्होंने एक ही मांग रखी कि उन्हें एम्स की कार्यकारी निदेशक से वार्ता करने दी जाए। गेट पर रोके जाने पर रोष जताते हुए इन कर्मचारियों ने पूर्व की भांति परिसर के भीतर शांतिपूर्वक धरना देने की अपनी मांग रखी है। उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा से जुड़े दिनेश चंद्र मास्टर ने भी मौके पर पहुंचकर इन कर्मचारियों को अपना समर्थन दिया।
संविदा कर्मियों ने आरोप लगाया कि वर्ष 2017 में चौथी वित्त समिति द्वारा स्वीकृत वेतन वृद्धि का लाभ अब तक उन्हें नहीं दिया गया है। जबकि नए कर्मचारियों को बड़े हुए वेतन का लाभ मिल रहा है और उनका कार्यकाल भी नियमित रूप से बढ़ाया जा रहा है। इन कर्मचारियों के मामले में फिलहाल विभिन्न न्यायालय में मामला विचाराधीन है। उधर हाईकोर्ट में इन कर्मचारियों के अधिवक्ता एमसी पंत ने न्यायालय को पत्र देकर हालात से अवगत कराया गया है। उन्होंने मामले को न्यायालय में विचाराधीन बताते हुए इन सभी कर्मचारियों को काम पर वापस लेने का आदेश जारी करने की मांग न्यायालय से की है।