




ऋषिकेश मुनिकीरेती में गंगा तट पर अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का शुभारंभ
ऋषिकेश [हरीश तिवारी]:
देश-विदेश से आए योग साधकों और योग गुरुओं की उपस्थिति में अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का शुभारंभ ऋषिकेश के मुनिकीरेती स्थित गंगा तट पर किया गया। उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती आदि ने महोत्सव का शुभारंभ किया। कैबिनेट मंत्री उनियाल ने कहा कि योग परमात्मा की प्राप्ति का साधन है। योग हमारी आत्मा है और योग राष्ट्रवाद का प्रतीक है।
गढ़वाल मंडल विकास निगम के तत्वावधान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि ऋषिकेश और आसपास क्षेत्र योग का प्रमुख केंद्र है। उत्तराखंड और हिमालय योग की जननी है। योग के माध्यम से पूरे विश्व को हमने योग शिक्षा का संदेश दिया है। नई शिक्षा नीति में योग को एक विषय के रूप में स्वीकार किया गया। उच्च शिक्षा में भी इसे पढ़ाने का काम किया गया।

कैबिनेट मंत्री उनियाल ने कहा कि योग मनुष्य को स्वस्थ रखने का साधन ही नहीं है बल्कि यह रोजगार का भी एक सशक्त माध्यम बना है। समूचे विश्व में हमारे देश के योग साधक लोगों को योग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी योग के महत्व को स्वीकार किया है। यही कारण है कि 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग को पूरे विश्व तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
गढ़वाल मंडल विकास निगम प्रबन्ध निदेशक विशाल मिश्रा ने कहा कि सात दिवसीय योग महोत्सव में योग, अध्यात्म और साधना के साथ ध्यान सम्बन्धी कक्षाएं संचालित की जायेगी। जिनमे व्याख्यान ओर शारीरिक क्रिया के माध्यम से आप उसमे निपुणता प्राप्त कर सकते है। योग महोत्सव में मां गङ्गा आरती, वैदिक मंत्रोच्चार, सनातन संस्कृति सहित सांय को भारतीय कल्चर ओर उत्तराखण्ड की संस्कृति, सभ्यता के अनुरूप सास्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले आगन्तुको को परम्परानुसार स्वागत सत्कार के साथ उत्तराखण्ड के प्रसिद्द व्यंजनों को उन्हें परोसा जायेगा। इस अवसर पर शांतिकुंज हरिद्वार से योग गुरु चिन्मय पंड्या, ऊंषा माता, योगी अक्षत, पालिकाध्यक्ष मुनिकीरेती नीलम बिजल्वाण, नगर पंचायत स्वर्गाश्रम की अध्यक्ष बिंदिया अग्रवाल, तपोवन के अध्यक्ष विनीता बिष्ट, चंद्रवीर पोखरियाल, महंत रवि प्रपन्नाचार्य,डा.लक्ष्मी नारायण जोशी आदि मौजूद रहे।

