




– श्री रामायण प्रचार समिति का 40 वां वार्षिकोत्सव
ब्यूरो,ऋषिकेश
श्री तुलसी मानस मंदिर के तत्वावधान में श्री रामायण प्रचार समिति का 10 दिवसीय 40 वां वार्षिकोत्सव धूमधाम के साथ मनाया गया। समारोह के अंतिम दिन गोस्वामी तुलसीदास जी की पावन जयंती भी मनाई गई। इस मौके पर श्री तुलसी मानस मंदिर के संस्थापक ब्रह्मलीन संत गोपालाचार्य महाराज को भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।
मालवीय मार्ग स्थित श्री तुलसी मानस मंदिर में 10 दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन श्री राम कथा का समापन करते हुए पूर्णाहुति दी गई। श्री तुलसी मानस मंदिर के महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज ने उपस्थित संत और श्रद्धालुओं का स्वागत करते हुए कहा कि श्रावण मास की सप्तमी तिथि पर मनाई जाने वाली गोस्वामी तुलसीदास जयंती केवल एक संत की स्मृति नहीं, बल्कि भारतीय भक्ति साहित्य की अमूल्य धरोहर का उत्सव है। तुलसीदास जी ने अपनी लेखनी से भगवान श्रीराम के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाया।
उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने तीर्थ नगरी में संस्कृत और संस्कृति की आजीवन सेवा करने वाले ब्रह्मलीन संत गोपालाचार्य महाराज को याद किया। उन्होंने कहा तुलसीदास जी ने अपने जीवन को भगवान श्रीराम की भक्ति में समर्पित कर दिया। वे सगुण रामभक्ति के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती के आशीर्वाद से उन्हें राम दर्शन की अनुभूति हुई। उन्होंने भक्ति को जीवन की सबसे बड़ी साधना माना और अपने लेखन से लोगों को उस पथ पर चलने की प्रेरणा दी। उनकी भक्ति ने उन्हें एक साधारण कवि से संत बना दिया।
श्री राम तपस्थली ब्रह्मपुरी के पीठाधीश्वर जगद्गुरु योगानंदाचार्य स्वामी दयाराम दास देवाचार्य ने कहा कि ‘रामचरितमानस’ गोस्वामी तुलसीदास जी की कालजयी रचना है। यह वाल्मीकि रामायण का सरल और सरस हिंदी रूपांतरण है, जिसे उन्होंने अवधि भाषा में लिखा ताकि साधारण जन भी भगवान राम की लीलाओं को समझ सकें।
व्यास पीठ पर विराजमान श्री राम कथा वाचक युवराज स्वामी गोपालाचार्य ने कहा गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन साधना, सेवा और संतुलित विचारों का आदर्श उदाहरण है। उन्होंने भक्ति को आडंबर से मुक्त कर सीधे आत्मा से जोड़ा। उनके ग्रंथों में न केवल धार्मिक भाव हैं, बल्कि जीवन जीने की व्यवहारिक शिक्षा भी निहित है।
जगतगुरु उत्तराखंड पीठाधीश्वर स्वामी कृष्णाचार्य जी महाराज की अध्यक्षता में आयोजित संत सम्मेलन में महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, हर्षवर्धन शर्मा, शिक्षाविद बंशीधर पोखरियाल,महंत हरिनारायणचार्य, महामंडलेश्वर वृंदावन दास महाराज, संजय शास्त्री, महंत बलवीर सिंह महंत मनोज प्रपन्नाचार्य,अमित सक्सेना, राम चौबे, अभिषेक शर्मा, रमाकांत भारद्वाज, अशोक अग्रवाल, चंद्रवीर पोखरियाल, ललित जिंदल, अजय गर्ग, प्रवीण अग्रवाल, संदीप गुप्ता आदि मौजूद रहे।

