




– सुनवाई के दौरान न्यायाधिकरण ने माना कि प्रबंधन ने पूर्व निर्देशों का नहीं किया पूर्ण पालन
ऋषिकेश,उत्तराखंड:
एम्स ऋषिकेश से निकल गए 11 संविदा कर्मियों के मामले में सीजीआईटी सह श्रम न्यायालय द्वितीय ने बीते दिनों इस मामले की सुनवाई करते हुए माना की न्यायाधिकरण की ओर से 19 सितंबर को प्रबंधन को जो निर्देश दिए गए थे उनका सही अनुपालन नहीं किया गया है। अब इस मामले में न्यायाधिकरण ने 16 अक्टूबर की तिथि सुनवाई के लिए निर्धारित करते हुए निदेशक को तलब किया है।
गौरतलब है कि एम्स प्रशासन की और से यहां बीते करीब 10 वर्षों से काम कर रहे 56 संविदा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई थी। इनमें 11 कर्मचारी ऐसे थे जिनका मामला पहले से ही सीजीआईटी सह श्रम न्यायालय द्वितीय विचाराधीन चल रहा था। सेवा समाप्ति के बाद यह सभी लोग फिर से श्रम न्यायालय की शरण में चले गए थे। इस मामले में संबंधित न्यायालय ने बीती 19 सितंबर को आदेश जारी करते हुए इन सभी कर्मियों को काम पर वापस लेने और 30 सितंबर को न्यायालय में जवाब दाखिल करने के लिए कहा था।
निर्धारित तिथि पर मामला न्यायाधिकरण में सुना गया।
प्रबंधन की ओर से जारी एक पत्र की प्रति न्यायाधिकरण के समक्ष प्रस्तुत की गई। जिसमें यह दावा किया गया कि इन सभी को संबंधित पदों पर वापस ले लिया गया है। न्यायाधिकरण ने कहा कि पत्र का अवलोकन करने से प्रतीत होता है कि इन सभी 11 आवेदकों को नई नियुक्तियां जारी की गई है। जबकि 19 सितंबर को न्यायाधिकरण ने प्रबंधन को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि सभी 11 दावेदारों को उनके संबंधित पदों पर वापस लिया जाए।
न्यायाधिकरण ने जारी आदेश में कहा कि एम्स ऋषिकेश द्वारा दावेदारों को उनके पदों पर वापस लेने के आदेश का पालन अधूरे मन से किया गया प्रतीत होता है। जिसको देखते हुए एम्स ऋषिकेश के निर्देशक को यह निर्देश दिए गए कि वहां इस अधूरे अनुपालन के संबंध में स्पष्टीकरण देने के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों। क्योंकि नियुक्तियों को केवल 179 दिनों के लिए बढ़ाया गया है। जबकि न्यायाधिकरण ने उन्हें इस विवाद के लंबित रहने के दौरान दावेदारों की सेवा शर्तों में बदलाव करने से रोक दिया था। इस मामले में न्यायाधिकरण ने 16 अक्टूबर को निदेशक को उपस्थित रहने के लिए कहा है।

