



✍🏻 शनिवार को दर्शाता है नहाय-खाय का विशिष्ट योग
ऋषिकेश, उत्तराखंड:
आज शनिवार से छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है और इस पर्व का पहला दिन नहाय खाय के साथ शुरू होता है। पंचांग अनुसार, आज कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि, अनुराधा नक्षत्र, वणिज करण, शुक्ल पक्ष और वृश्चिक राशि में चंद्रमा है. आज पूर्व का दिशाशूल है। शनिवार और छठ पूजा का पहला दिन (नहाय-खाय) इन दोनों के एक साथ आने का योग ज्योतिषीय रूप से अत्यंत विशेष और शक्तिशाली माना गया है. शनिवार के दिन के स्वामी न्याय के देवता शनिदेव हैं और छठ महापर्व में छठी मईया के साथ सूर्यदेव की पूजा की जाती है। शनि और सूर्य देव दोनों में पिता-पुत्र का संबंध है, लेकिन इनके बीच वैरभाव भी बताया गया है (शनि सूर्य का पुत्र होते हुए भी उनसे दूर रहते हैं)।
जब छठ पूजा की शुरुआत शनिवार से होती है, तब यह एक विशिष्ट ग्रह-संतुलन का समय बनता है। जो व्यक्ति इस दिन नहाय-खाय कर व्रत आरंभ करता है, उसके जीवन में कर्मों की शुद्धि, पितृ दोष शांति, और सूर्य-शनि मेलजोल का योग बनता है। शनि के प्रभाव से व्यक्ति में संयम, धैर्य और श्रम का बल आता है, जिससे उपवास की साधना पूर्ण फल देती है। छठ पूजा के नहाय-खाय से ही यह शुभ प्रारंभ हो जाता है, क्योंकि इस दिन स्नान, शुद्ध भोजन और सूर्योपासना की भावना शनि-सूर्य मेल का माध्यम बनती है। शनिवार को नहाय-खाय का योग यह दर्शाता है कि सूर्य का तेज और शनि की विनम्रता एक साथ साधक के जीवन में उतरने वाली है। यह दिन कर्मशुद्धि, आत्मबल और ग्रह-संतुलन का अद्भुत अवसर है।
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स्वच्छता और पवित्रता की प्रतीक हैं छठी मैया
स्नान के बाद रसोई और पूजा स्थल को साफ किया जाता है। माना जाता है कि छठी मैया स्वच्छता और पवित्रता की प्रतीक हैं, इसलिए किसी भी तरह की अशुद्धि नहीं होनी चाहिए. इस दिन व्रती एक बार ही भोजन करते हैं, जिसे “नहाय-खाय का प्रसाद” कहा जाता है. खाना कांसे या पीतल के बर्तन में और मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है।
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📌 छठ पूजा 2025 का कैलेंडर
सनातन पंचांग के अनुसार, इस साल छठ पूजा की विधिवत शुरुआत आज यानी 25 अक्टूबर को होने के बाद इस महापर्व का समापन 28 अक्टूबर को होगी. इसे आप छठ पूजा 2025 के कैलेंडर में देख सकते हैं:
रीति-रिवाज हिंदी तिथि अंग्रेजी तिथि दिन/वार
📌 नहाय-खाय कार्तिक शुक्ल चतुर्थी 25 अक्टूबर शनिवार
📌 खरना कार्तिक शुक्ल पंचमी 26 अक्टूबर रविवार
संध्या अर्घ्य
📌 कार्तिक शुक्ल षष्ठी 27 अक्टूबर सोमवार
उषा अर्घ्य और पारण
📌 कार्तिक शुक्ल सप्तमी 28 अक्टूबर मंगलवार
📌 इन मंत्रों से करें सूर्यदेव की पूजा
सूर्यदव के 12 नाम: ॐ सूर्याय नम:. ॐ भास्कराय नम:. ॐ रवये नम:. ॐ मित्राय नम:. ॐ भानवे नम:. ॐ खगाय नम:. ॐ पुष्णे नम:. ॐ मारिचाये नम:. ॐ आदित्याय नम:. ॐ सवित्रे नम:. ॐ आर्काय नम:. ॐ हिरण्यगर्भाय नम:.
📌 इन सभी नामों के जाप मात्र से व्यक्तित्व में निखार और विचार में एकाग्रता बढ़ती है.
सूर्य बीज मंत्र: ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
यह मंत्र सूर्य देव की कृपा से ऊर्जा और स्वास्थ्य प्रदान करता है, जीवन में सकारात्मकता लाता है और समृद्धि और सफलता लाने में सहायक होता है।
सूर्य बीज मंत्र: ऊं घृणि सूर्याय नम:
यह भी सूर्य बीज मंत्र है, जिसका जाप सूर्य को प्रत्यक्ष देव और ब्रह्मांड की ऊर्जा के स्रोत के रूप में पूजने के लिए होता है। इससे आत्मविश्वास और सफलता में वृद्धि के साथ स्वास्थ्य में सुधार होता है।


