– वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने एम्स में तीसरी मंजिल तक वाहन ले जाने के मामले की जांच
ब्यूरो, ऋषिकेश
एम्स ऋषिकेश में महिला चिकित्सक के साथ छेड़छाड़ करने वाले आरोपी नर्सिंग आफिसर फिसर सतीश कुमार की नाटकीय ढंग से भी गिरफ्तारी अखबारों की सुर्खियां ही नहीं बल्कि बड़े-बड़े चैनल में खूब देखी जा रही है। बड़ा सवाल यह उठाया जा रहा है कि एक व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए एम्स के इमरजेंसी कंपाउंड से होकर रैंप के जरिए तीन मंजिल तक पुलिस को गाड़ी ले जाने की क्या जरूरत थी। पूरे मामले की जांच व्यक्तिगत रूप से गुरुवार को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने की। घटनास्थल का निरीक्षण करने के साथ-साथ उन्होंने तीसरी मंजिल पर स्थित मनोचिकित्सा वार्ड जहां आरोपी जाकर भर्ती हो गया था। उसका भी निरीक्षण किया। बड़ी संख्या में वहां मौजूद अलग-अलग लोगों से एसएसपी ने बातचीत की। इस मामले में उन्होंने सीसीटीवी कैमरे सहित अन्य प्रचलित वीडियो फुटेज भी एकत्र किए है। इस मामले में उन्होंने अधीनस्थों से भी पूछताछ कर सवाल जवाब किए।
(देखिए वीडियो में गिरफ्तारी के रोज के हालात)
पूरे मामले की जांच पड़ताल करने के बाद एसपी के सामने पूरी घटना का यही निचोड़ निकला की उसे रोज एम्स कैंपस के भीतर हालात बड़े नाजुक थे। सैकड़ो लोगों की भीड़ गुस्से में थी। भीड़ में शामिल लोग आरोपी को उनके हवाले करने की मांग कर रहे थे।भीड़ का बड़ा हिस्सा कभी भी मनोचिकित्सा वार्ड के भीतर घुस सकता था। इस बात की पुष्टि वहां कुछ लोगों द्वारा की गई वीडियो रिकार्डिंग से भी हुई है। एसएसपी देहरादून ने सभी पहलुओं का बारीक से विश्लेषण किया।
एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि आरोपी की गिरफ्तारी के वक्त मौके पर मौजूद उग्र भीड़ प्रदर्शन कर रही थी। इस दौरान मोब लिंचिंग की पूरी पूरी संभावनाएं बनी हुई थी। आरोपी नर्सिंग ऑफिसर को सुरक्षित निकालकर हिरासत में लेना जरूरी था। मौके पर बनी स्थिति को देखते हुए एम्स प्रशासन द्वारा सुझाए गए रास्ते से पुलिस वाहन को मनोचिकित्सा वार्ड तक ले जाया गया था। गिरफ्तारी के बाद भी बड़ी संख्या में भीड़ वहां के पीछे दौड़ रही थी किसी तरह से एम्स के अन्य वैकल्पिक रास्तों से पुलिस की गाड़ी को बाहर निकल गया। उन्होंने कहा कि मामले में एसआईटी गठित कर दी गई है, जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे कार्रवाई होगी।