ब्यूरो,ऋषिकेश
संस्कृत भारती अखिल भारतीय गोष्ठी में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने श्रीव्यास मन्दिर, हरिपुरकला में आयोजित कार्यक्रम में सहभाग किया।
संस्कृत भारती द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि संस्कृत, हमारी मातृ भाषा व हमारी सभी भाषाओं का मूल संस्कृत है। यह वैकल्पिक नहीं बल्कि वैश्विक भाषा है और दिव्य भाषा है। यह सभी भारतीय भाषाओं का मूल है और कई भाषाओं की जन्मदात्री भी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत को हमारे पाठ्यक्रमों में एक वैकल्पिक भाषा के रूप में नहीं बल्कि वैश्विक भाषा के रूप में स्थापित करने की जरूरत है। संस्कृत, भारत की अति प्राचीन भाषा है। यह भाषा भारतीय संस्कृति और हिंदू संस्कृति की प्राथमिक, साहित्यिक और दिव्य भाषा है। यह भाषा दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है। वर्तमान समय में संस्कृत भाषा को कंप्यूटर के लिये उपयुक्त भाषा माना गया है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि संस्कृत प्राचीन भाषा है, संस्कृत पवित्र भाषा है। हमारी तो पूजा, साधना, समाधि सभी के लिये संस्कृत के दिव्य मंत्र है। इसलिये हमारी तो साधना भी संस्कृत भाषा है और हमारी तो समाधि भी संस्कृत भाषा है।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि संस्कृत भाषा देव भाषा है, दिव्य भाषा है, मीठी भाषा, स्पष्ट भाषा है। अगर सारी भाषाओं को शुद्ध किया जाये तो संस्कृत बन जायेगी इसलिये तो संस्कृत को सभी भाषाओं की जननी कहा गया है। संस्कृत, भाषा समृद्धि, उच्चता, अद्वितीय, बौद्धिक शक्ति की भाषा है।