– भीड़ के जोश और हौंसले ने सिस्टम में बैठे लोगों को दे दी चेतावनी
ब्यूरो,ऋषिकेश:
उत्तराखंड राज्य प्राप्ति आंदोलन के दौरान ऋषिकेश आंदोलन की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है। यहां से जो आंदोलन का आगाज उत्तराखंड के गांधी इंद्रमणि बडोनी ने किया तो पूरे प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में उसकी गूंज पहुंची थी। इसी तीर्थ नगर ऋषिकेश से सशक्त भू-कानून की मांग को लेकर रविवार के रोज उठी आवाज इस मांग की अनदेखी करने वालों के लिए कड़ी चेतावनी से कम नहीं है। उत्तराखंड के पहाड़ और मैदान से आए तमाम लोगों ने इस कानून के समर्थन में जो हुंकार भरी वह वास्तव में भविष्य में खड़े होने वाले एक सशक्त आंदोलन की किलकारी मात्र है।
मूल निवास 1950, सशक्त भू- कानून, बढ़ते नशे और अपराध के खिलाफ रविवार को ऋषिकेश क्षेत्र के साथ ही पहाड़ व मैदानी क्षेत्र के लोग हजारों की संख्या में ऋषिकेश के आईडीपीएल स्थित फुटबॉल मैदान में एकत्रित हुए। वहां से मूल निवास भू-कानून समन्वयक संघर्ष समिति उत्तराखंड के संयोजक मोहित डिमरी के नेतृत्व में फुटबॉल मैदान से त्रिवेणी घाट के गांधी स्तंभ तक हाथों में तखतियां लेकर व नारेबाजी कर मूल निवास स्वाभिमान महारैली निकाली।
मूल निवास स्वाभिमान महारैली में युवाओं, बालिकाओं, महिलाओं, बच्चे व बुजुर्गों जैन सैलाब उमड़ पड़ा। लोगों ने हाथ में तखतियां लेकर नारेबाजी करते हुए कहा कि
मूल निवास 1950, सशक्त भू कानून हमारा अधिकार है। जब तक सरकार इसे हमें नहीं देती है वह चुप नहीं बैठेंगे। स्वाभिमान महारैली में
बोल पहाड़ी हल्ला बोल, तुम हमसे क्या जीतोगे सहित कई नारे गूंज रहे थे।
संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि सरकार ने आज की मूल निवास स्वाभिमान महा रैली को देखते हुए हमें केवल एक जुमला दिया है कि वह जल्द ही सशक्त भू- कानून लागू करेगा। आज अपने ही राज्य में मूल निवासियों की पहचान का संकट खड़ा हो गया है। अब हमारे अपने ही प्रदेश में कोई हैसियत नहीं रह गई है। हमारी पहचान के साथ ही हमारी संस्कृति, नौकरी, रोजगार, जमीन सहित तमाम आर्थिक संसाधनों पर बाहर से आए लोगों का कब्जा होता जा रहा है। इसके पीछे मुख्य कारण मूल निवास 1950 की व्यवस्था को खत्म करना और कमजोर भू कानून लागू होना है।
कहा कि एक आंकड़े के मुताबिक आज उत्तराखंड में भारी राज्यों से 50 लाख से अधिक लोग आ चुके हैं। इसमें से अधिकतर ऐसे हैं जिन्होंने अपने फर्जी स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाए हैं। इस आधार पर यह लोग न केवल उत्तराखंड में सरकारी नौकरी कर रहे हैं बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ भी उठा रहे हैं और आसानी से जमीन भी खरीद रहे हैं। हमारे रोजगार और कारोबार के अवसरों को हथियाना के साथ ही प्रदेश के तमाम तरह के संसाधनों पर भी इनकी पकड़ दिनों दिन मजबूत होती जा रही है। इस खतरनाक स्थिति को नजर अंदाज करने का सीधा मतलब है कि हमारी भावी पीढ़ी के अल्पसंख्यक हो जाने का रास्ता तैयार करना है।
डिमरी ने कहा कि कहा कि कमजोर भू कानून के कारण बाहर के पूंजीपति हमारी जमीन खरीद रहे हैं। उत्तराखंड में बाहर से आए लोगों ने पहाड़ के पहाड़ अपने नाम कर लिए हैं। इसके लिए सरकार को सशक्त भू- कानून बनाना चाहिए। उन्होंने सभी लोगों को त्रिवेणी घाट गांधी स्तंभ पर गंगाजल लेकर शपथ दिलाई कि वह उत्तराखंड राज्य की तरह इस आंदोलन को भी निर्णायक रूप देने के लिए सक्रिय रहेंगे।
इस दौरान पूर्व विधायक ओमगोपाल रावत, पांजल नौडियाल, हिमांशु रावत, एलपी रतूड़ी, मोहन रावत, शशि रावत, प्रभाकर पैन्यूली, एडवोकेट लालमणि रतूड़ी, हिमांशु बिजल्वाण, एडवोकेट लक्ष्मण सिंह राणा,धूम सिंह भंडारी, शूरवीर सिंह रावत, कुसुम जोशी, कमल राणा, सुनीता देवी, रजनी देवी, लक्ष्मण सिंह चौहान, आशुतोष शर्मा, गैणी देवी, भगवती प्रसाद सेमवाल हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे।