ब्यूरो,ऋषिकेश:
समय से बहुत पहले महज 24 सप्ताह के गर्भ से जन्मे जुड़वां बच्चों ने एम्स,ऋषिकेश के सतत प्रयासों व बेहतर चिकित्सा प्रणाली के कारण जन्म के समय आई तमाम स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों व अन्य सभी बाधाओं को पार कर लिया है। इस तरह की चुनौतियों वाला यह अपने आप में एम्स, ऋषिकेश में पहला मामला है, जिसमें एम्स ऋषिकेश को अप्रत्याशित सफलता मिली है। यहां निओनटोलॉजी विभाग के अंतर्गत एनआईसीयू में भर्ती इन जुड़वां बच्चों को स्वस्थ अवस्था में अब अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। उधर संस्थान की कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने इस उपलब्धिपूर्ण कार्य के लिए निओनटोलॉजी विभाग की चिकित्सकीय एवं नर्सिंग टीम की मुक्तकंठ से सराहना की है।
नवजात शिशुओं की देखभाल व चिकित्सा में जुटे विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बताया कि पैदा हुए जुड़वा बच्चों का वजन क्रमशः 592 ग्राम और 670 ग्राम था। उनके निर्धारित समय से बहुत पहले जन्म होने से जीवित रहने की संभावना काफी कम थी। जिसे एम्स के नवजात शिशु रोग विभाग ने चुनौती के साथ लिया और एनआईसीयू में नवजात रोग विशेषज्ञों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों की समर्पित टीम ने नाजुक शिशुओं को चौबीस घंटे बेहतर देखभाल के साथ जरुरी चिकित्सा प्रदान की।
दोनों बच्चे बिना किसी तकनीक सपोर्ट के अपने आप सांस लेने में सक्षम हो गए हैं। बताया गया कि इस संपूर्ण चिकित्सकीय प्रक्रिया के दौरान बच्चों के माता-पिता ने भी दिन-रात 12 से 15 घंटे केएमसी पद्धति से नवजात शिशुओं के जीवन के संरक्षण के लिए चिकित्सकीय टीम को बेहतर परिणाम देने में अपना सहयोग प्रदान किया।
जुड़वां बच्चों के माता-पिता, प्रेजिता और अनूप ने बच्चों की दिनरात सतत सक्रियता के साथ बेहतर चिकित्सकीय देखभाल के साथ बेहतर परिणाम के मद्देनजर एम्स ऋषिकेश की एनआईसीयू टीम के प्रति आभार व्यक्त किया।
टीम का नेतृत्व एम्स,ऋषिकेश की निओनटोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर श्रीपर्णा बसु, एडिशनल प्रोफेसर डॉ. पूनम सिंह, सह आचार्य डॉ. मयंक प्रियदर्शी, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुमन चौरसिया एवं रेजिडेंट्स टीम ने सहयोग किया। वही, ए.एन.एस. शिनोय आशीष कुमार, एस.एन.ओ. सुमन कंवर समेत समस्त नर्सिंग टीम ने अहम भूमिका निभाई है।
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December 11, 2024