



ब्यूरो,ऋषिकेश
श्री नेपाली संस्कृत विद्यालय के नवीन ऋषिकुमारों का यज्ञोपवीत संस्कार वैदिक विधि विधान से संपन्न हुआ। जिसमें नगर के संत- महात्माओं नगर के समस्त संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाचार्य अध्यापक ऋषिकुमारों के अभिभावक उपस्थित थे।
प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में गंगा जी के तट पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ दशविधि स्नान सम्पन्न हुआ। उसके पश्चात विद्यालय में आचार्य राकेश लसियाल ने वैदिक विधि-विधान से यज्ञोपवीत संस्कार संपन्न करवाया।
मुख्य अतिथि पूर्व महापौर अनीता ममगाईं जी ने सभी ऋषिकुमारों एवं विद्यालय परिवार को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमारे जीवन में संस्कारों का बहुत बडा महत्व है। संस्कृत का अध्ययन कर ये ऋषिकुमार सम्पूर्ण समाज का मार्गदर्शन करेंगे उन्होंने कहा कि ये ऋषिकुमार भारत का भविष्य है। आने वाले समय में ये अपने विद्वता के बल पर समाज में पूजनीय होंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्वामी सुनील भगत ने कहा कि आपको पूर्ण मनोयोग से विद्या अध्ययन करना है, ताकि आप अपने अच्छे भविष्य का निर्माण कर सकेंगे। केशव स्वरुप ब्रह्मचारी ने कहा कि आज समाज में संस्कारों का आभाव हो रहा है। बच्चे तभी संस्कारवान होंगे जब माता पिता को अपने सनातन संस्कृति, परम्परा एवं संस्कारों का ज्ञान होगा माता पिता ही बच्चों को संस्कारवान बना सकते है। उन्होंने कहा कि ये गुरुकुल परम्परा अनादि काल से हमारे भारत वर्ष में से चली आ रही है इसी परम्परा के बल पर हम विश्व गुरु जैसे सर्वोच्च स्थान पर थे।
डॉ जनार्दन कैरवान ने कविता के माध्यम से संस्कृत भाषा के प्रति सम्मान प्रकट कर ऋषिकुमारों का उत्साहवर्धन किया। आचार्य सुभाष चन्द्र डोभाल के संचालन में चल रहे कार्यक्रम में विद्यालय के प्रबंधक ललित डंग, पार्षद वीरेंद्र रमोला, कमलेश पैन्यूली, अरविन्द सिलोडी, प्रधानाचार्य सुरेन्द्र भट्ट, नवीन भट्ट, विजय जुगलान, डॉ राधा मोहन दास, डॉ सन्तोष मुनि, डॉ शान्ति प्रसाद मैठाणी, आचार्य जितेन्द्र भट्ट, विनोद गैरोला, सुरेश पंत, डॉ दयाकृष्ण लेखक, सचिन पैन्यूली, अजय रमोला, वीजेन्द्र चन्द,शान्ति प्रसाद डंगवाल, कामेश्वर लसियाल, मनोज कुमार द्विवेदी ,विपिन बहुगुणा,जय भगवान उपाध्याय, हर्षपति धस्माना, मनोज पैन्यूली, पूनम खरोला, प्रियंका सेमवाल,सुभाष नौटियाल, बलीराम सहित बडी संख्या में ऋषिकुमारों के अभिभावक उपस्थित थे।


