– दुर्दशा का कारण बताए भाजपा : करन माहरा
ब्यूरो,देहरादून
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने भाजपा नेतृत्व से सवाल किया है कि सांसदों के गोद लिए गांवों का विकास क्यों नहीं हो पाया? उन्होंने कहा कि जब सांसदों के गोद लिए गांवों की इतनी दुर्दशा है तो प्रदेश के बाकी गांवों की दशा को समझने के लिए किसी रिकेट साइंस की जरूरत नहीं है। आईने की तरह तस्वीर साफ है तो फिर विकास करवाने ने असफल रहे भाजपा के तमाम सांसद माफी क्यों नहीं मांग रहे हैं?
मीडिया को जारी बयान में माहरा कहा कि दस वर्ष पूर्व 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना की घोषणा की थी। उन्होंने हर सांसद को अपने संसदीय क्षेत्र में वर्ष 2016 तक एक आदर्श ग्राम, उसके बाद साल 2019 तक तीन आदर्श ग्राम और उसके बाद 2024 तक पांच गांव गोद लेकर आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए थे। उस हिसाब से हर एक जिले में कम से कम एक आदर्श ग्राम विकसित होना चाहिए था।
कहा उस समय बड़े जोर शोर से ढोल पीटा गया था कि इस योजना के तहत चयनित ग्रामों में कृषि, स्वास्थ्य, स्वच्छता, आजीविका संवर्द्धन, बुनियादी सुविधाएं, बेहतर पर्यावरण और शिक्षा इत्यादि के क्षेत्र को सशक्त बनाया जाएगा, लेकिन आज दस साल बाद जो तस्वीर सामने आ रही है, वह बेहद अफसोसजनक और भाजपा के दावों की पोल खोलने वाली है। उन्होंने कहा कि टिहरी की सांसद ने देहरादून के रायपुर ब्लॉक के तहत सिर्फ एक गांव क्वारा गोद लिया था, लेकिन वह बाकी गांवों की तुलना में और पिछड़ गया। यही हाल गढ़वाल सांसद द्वारा चयनित सिरतोली, स्यूर बांगर, बड़ा गांव, मल्ला बनास और बेराई का है। नैनीताल सांसद ने देवीधुरा, जंगलिया गांव और देवला मल्ला गोद लिया था जबकि अल्मोड़ा सांसद ने सुनोली, गोसानी, गोगना और मजकोट को संवारने का ढोल पीटा, हरिद्वार सांसद ने तो गांव गोद लेने की जहमत तक नहीं उठाई। इसी तरह भाजपा के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल भी उदासीन ही रहे। अलबत्ता गढ़वाल सीट से चुनाव लड़ रहे निवर्तमान राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी ने भी बौर गांव को गोद लिया था लेकिन आज तक बौर गांव के भी अच्छे दिन नहीं आए।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा केवल जुमलों का सहारा लेकर विकास का ढोल पीटती है। लोग उसके झूठ को अब समझ गए हैं और अब उसके बहकावे में नहीं आएंगे।
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