



– एम्स में आयोजित हुई सीएमई, विशेषज्ञों ने की रोकथाम पर चर्चा
ब्यूरो,ऋषिकेश
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में सामुदायिक चिकित्सा विभाग और सेंटर फाॅर एक्सीलेंस वन हेल्थ के संयुक्त तत्वाधान में रेबीज की रोकथाम और नियंत्रण हेतु ‘वन हेल्थ अप्रोच’ विषय पर सीएमई का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रतिभागी विशेषज्ञों ने पशु चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बहुउद्देश्यीय सहयोग पर बल दिया।
एम्स के सीएफएम विभाग और सेंटर फाॅर एक्सीलेंस वन हेल्थ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम में चिकित्सा, पशु चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े विशेषज्ञों ने रेबीज की रोकथाम और इसके नियंत्रण पर व्यापक चर्चा कर बहुउद्देश्यीय सहयोग अपनाने की बात कही। मुख्य अतिथि संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो मीनू सिंह ने सीएमई का उद्घाटन करते हुए कहा कि समय पर टीकाकरण, जन जागरूकता और विभिन्न विभागों केे बीच समन्वय स्थापित कर रेबीज को शत प्रतिशत रोका जा सकता है।
सीएमई को डीन एकेडमिक प्रो जया चतुर्वेदी, डीन रिसर्च प्रो शैलेन्द्र हाण्डू, चिकित्सा अधीक्षक प्रो सत्या श्री, सीएफएम की हेड प्रो वर्तिका सक्सेना, डाॅ रंजीता कुमारी और डाॅ महेन्द्र सिंह, माईक्रोबायलाॅजी के डाॅ योगेन्द्र प्रताप मथुरिया, पशु चिकित्सा अधिकारी डाॅ अमित अरोड़ा आदि ने भी संबोधित किया।
वन हेल्थ प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी सीएफएम विभाग के डाॅ महेन्द्र सिंह ने बताया कि डब्लू.एच.ओ के अनुसार प्रति वर्ष लगभग 50 हजार से अधिक लोगों की रेबीज के कारण मृत्यु हो जाती है। बताया कि अकेले भारत में ही 37 लाख डाॅग बाइट के मामले दर्ज हो चुके हैं।
सीएमई में डाॅ सुरेखा किशोर, डाॅ प्रदीप अग्रवाल, डाॅ स्मिता सिन्हा के अलावा वन हेल्थ प्रोजेक्ट के डाॅ प्रियंका नैथानी, नीरज रणकोटी, दीक्षा, नीरजा भट्ट सहित एसआर, जेआर व अन्य कई मौजूद रहे।

