




-वीरभद्र स्थित नवनिर्मित बोधेश्वर मंदिर बनेगा विद्या और उपासना का केंद्र
-सुबोधानंद फाउंडेशन युवाओं तक पहुँचाएगा शास्त्रों की शिक्षा
ऋषिकेश: वीरभद्र स्थित नवनिर्मित बोधेश्वर मंदिर में आज ब्रह्मलीन परम् पूज्यनीय स्वामी सुबोधानंद सरस्वती जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा वैदिक मंत्रोच्चारण और विशेष हवन-पूजन के साथ सम्पन्न हुई। इस अवसर पर मंदिर में शिवालय की स्थापना भी की गई।
इस पावन अवसर पर सुबोधानंद फाउंडेशन के प्रमुख स्वामी ध्रुव चैतन्य सरस्वती विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने स्वामी सुबोधानंद सरस्वती के जीवन, साधना और समाजहित में किए गए योगदान का स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
स्वामी ध्रुव चैतन्य सरस्वती ने बताया कि नवनिर्मित भव्य मंदिर के निर्माण में राजस्थान से आए कारीगरों का योगदान रहा, वहीं प्रयागराज से आए पंडितों द्वारा विशेष हवन-पूजन किया गया। भारत के सभी प्रमुख तीर्थों और अमेरिका (टेक्सास) से लाई गई मिट्टी व जल का उपयोग भी प्राण प्रतिष्ठा में किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता हरिद्वार से आए परमार्थ साधक संघ के संस्थापक महामंडलेश्वर स्वामी प्रणव चैतन्य पुरी जी ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि “स्वामी सुबोधानंद जी के सम्पूर्ण जीवन का सूत्र ज्ञान के प्रति अत्यंत प्रेम था। उन्होंने सनातन संस्कृति को जीवंत रखने हेतु अद्वितीय साधना और सेवा की।”
कार्यक्रम का संचालन साधना मिश्रा ने किया। इसके बाद दोपहर में आयोजित भंडारे में लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। प्राण प्रतिष्ठा में अनेक संतों, श्रद्धालुओं और स्थानीय भक्तगणों ने भाग लेकर इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने।
मंचासीन संतों की गरिमामयी उपस्थिति
महामंडलेश्वर स्वामी प्रणव चैतन्य पुरी जी – परमार्थ साधक संघ, हरिद्वार
महामंडलेश्वर स्वामी दिव्यानंद पुरी जी – साधना सदन, हरिद्वार
महामंडलेश्वर स्वामी अभिषेक चैतन्य गिरी जी – संन्यास आश्रम, ऋषिकेश
महामंडलेश्वर स्वामी विजयानंद पुरी जी – शिवालय, ऋषिकेश
आचार्य स्वामी अद्वैतानंद सरस्वती जी – सचिव, शिवानंद आश्रम, ऋषिकेश
महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद जी महाराज – हरिद्वार
आचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी – सांदीपनी आश्रम, नासिक
श्री राम भाई – मुख्य सेवक, आन्नाथ मंदिर, पुरी
आचार्य स्वामी कृष्ण प्रेमानंद सरस्वती जी – सुबोधकृष्ण मिशन, कटक, ओडिशा
श्री रामचंद्र दास महापात्र – बड़ाग्राही (प्रधान सेवक), माता सुभद्रा, श्री जगन्नाथ धाम, पुरी
स्वामी प्रज्ञानानंद महाराज – साधना आश्रम, ऋषिकेश
विद्या और उपासना का केंद्र है बोधेश्वर मंदिर
स्वामी ध्रुव चैतन्य सरस्वती ने कहा कि गुरुजी की शिक्षा परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए फाउंडेशन निरंतर कार्य कर रहा है। मंदिर को केवल समाधि मंदिर तक सीमित न रखकर इसे एजुकेशन सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि युवा पीढ़ी विद्या और उपासना दोनों से जुड़ सके। उन्होंने कहा कि “गुरुजी का स्थान यहीं था, इसलिए इसे शिक्षा और साधना का केंद्र बनाया जा रहा है। उनकी स्मृति में यह भव्य मंदिर समाज को समर्पित है।”
सनातन संस्कृति के प्रसार और विश्वव्यापी दृष्टिकोण का लक्ष्य
स्वामी ध्रुव चैतन्य सरस्वती ने बताया कि फाउंडेशन का गठन गुरुजी की स्मृति में किया गया है, जिसका मुख्य ध्येय पढ़ना और पढ़ाना है। उन्होंने कहा कि वैदिक व पौराणिक साहित्य की भाषा जटिल होने से युवा पीढ़ी तक उसका मूल स्वरूप नहीं पहुँच पाता।
गुरुजी ने अपने जीवन के 30 वर्षों में 12 विशेष कोर्स तैयार किए, जिनमें शास्त्र, योग और ज्योतिष शिक्षा शामिल है, ताकि शास्त्रों की मूल भावना और सिद्धांतों को सरल व स्पष्ट रूप में युवाओं तक पहुँचाया जा सके।
विशेष योगदान के लिए सम्मानित हुए
शेखर वर्मा, प्रयागराज – मुख्य आर्किटेक्ट
रतन साहा – मूर्तिकार
गजेन्द्र शर्मा – मंदिर निर्माण शिल्पकार
झाऊरा – सिविल कार्य ठेकेदार, मंदिर व आश्रम परिसर
मानवेन्द्र मिश्रा – सम्पादक, सुबोध वाणी अर्धवार्षिक पत्रिका

