




-बाल शल्य चिकित्सक डॉ. संतोष सिंह और उनकी टीम ने जटिल सर्जरी कर 1500 ग्राम के नवजात की जान बचाई*
-अस्पताल में नवजात शिशुओं की जटिल सर्जरी और सघन चिकित्सा की अत्याधुनिक सुविधाएं
ऋषिकेश,उत्तराखंड:
दीपावली से ठीक पहले हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में एक अद्भुत चिकित्सा सफलता ने रश्मि (नाम परिवर्तित) परिवार के जीवन में खुशियों की लौ फिर जला दी। रश्मि के प्री-मेच्योर नवजात की आहार नली पूरी तरह विकसित नहीं थी। हिमालयन अस्पताल के बाल शल्य चिकित्सकों की टीम ने नवजात की जटिल सर्जरी कर आहार नली विकसित की। अब नवजात पूरी तरह स्वस्थ है।
हिमालयन अस्पताल के वरिष्ठ बाल शल्य चिकित्सक डॉ. संतोष सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य परीक्षणों में पता चला कि नवजात की आहार-नली विकसित नहीं थी, साथ ही श्वास-नली से भी जुड़ी हुई थी। चिकित्सा भाषा में इसे ‘इसोफेजियल एट्रेज़िआ विद ट्रेकियो-इसोफेजियल फिस्चुला’ कहा जाता है। यह स्थिति बेहद जटिल होती है। परिवार की सहमति के बाद सर्जरी का फैसला लिया गया। टीम का गठन किया गया, इसमें डॉ. सोनालिक गुप्ता, डॉ. सागर गर्ग, डॉ. आरती राजपूत, डॉ. यूसुफ और ओटी स्टाफ शीतल शामिल रहे। ऑपरेशन के बाद नवजात को डॉ. चिन्मय और डॉ. सैकत पात्रा की निगरानी में एनआईसीयू में रखा गया। अब रश्मि का बेटा पूरी तरह स्वस्थ है।
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि हिमालयन अस्पताल में हमारा लक्ष्य हर नवजात और बच्चे को सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण और समय पर चिकित्सा सुविधा प्रदान करना है। इस जटिल सर्जरी की सफलता अस्पताल की पूरी टीम की प्रतिबद्धता और उत्कृष्ट कौशल का परिणाम है।
दीपावली का सबसे बड़ा उपहार
रश्मि के घर जन्म के बाद नवजात की आहार-नली विकसित नहीं होने की जानकारी ने परिवार को सदमे में डाल दिया। सर्जरी के बाद तीन सप्ताह की सघन देखभाल के बाद शिशु ने पहली बार दूध पिया, तो परिवार की आंखों में खुशी के आंसू थे। रश्मि और उसके परिवार ने इसे “दीपावली का सबसे बड़ा उपहार” बताया।
क्यों खतरा ज्यादा था ?
डॉ.संतोष सिंह ने बताया कि एक जटिल सर्जरी की गई। इसका मुख्य कारण नवजात का प्री-मैच्योर (समय से पहले पैदा हुआ) होने के साथ उसका वज़न भी मात्र 1500 ग्राम था। एक सामान्य नवजात का वज़न 2500 से 3000 ग्राम तक होता है।
*हिमालयन अस्पताल में हर नन्ही जिंदगी सुरक्षित*
हिमालयन अस्पताल में नवजात शिशुओं की जटिल सर्जरी और सघन चिकित्सा के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं 24 घंटे उपलब्ध हैं। यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम द्वारा प्री-मेच्योर और गंभीर अवस्था वाले शिशुओं का उपचार उन्नत तकनीक और मानवीय संवेदना के साथ किया जाता है। अस्पताल में नवजात शिशुओं के लिए विशेष एनआईसीयू, मॉनिटरिंग सिस्टम और प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ लगातार उनकी देखभाल में तत्पर रहते हैं।
क्या है इसोफेजियल एट्रेज़िआ ?
इसोफेजियल एट्रेज़िआ एक जन्मजात विकृति है जो 4500-5000 जन्मे बच्चों मे किसी एक को हो सकती है। किन्ही कारणों से इसमे गर्भ मे ही आहार-नली का समुचित विकास नहीं हो पाता है। लगभग 90 प्रतिशत मामलों मे ये श्वास नली से भी जुड़ी होती है जिसे ट्रेकियो- इसोफेजियल फिस्चुला’ कहते हैं। इस की वजह से कई और तरह की जटिलताएं उत्पन्न हो जाती हैं।

