

सीमा डेंटल कालेज एंड हास्पिटल के चिकित्सकों ने की टीएमजे एकोलोसिस की सफल सर्जरी
ब्यूरो,ऋषिकेश
देहरादून निवासी एक युवती जब तीन वर्ष की थी तो दुर्घटना में उसके जबड़े बंद हो गए। 20 वर्ष तक युवती अपने बंद जबड़े के साथ जीती रही। सीमा डेंटल कालेज एंड हास्पिटल ऋषिकेश में आकर चिकित्सकों की टीम ने युवती का जटिल आपरेशन किया और 20 वर्ष बाद उसके जबड़े पूरी तरह से खुल गए।
देहरादून निवासी 22 वर्षीय मीना को तीन साल की आयु में चोट लगने के कारण टीएमजे एकोलोसिस नामक समस्या हो गई थी। पूरा मुंह न खुलने की वजह से मरीज को खाना-खाने में बहुत मुश्किल होती थी। मीना ने बताया कि वह अपने जबड़े के इलाज के लिए देहरादून व ऋषिकेश के कई अस्पतालों से सलाह ली, पर उसे निराशा ही प्राप्त हुई। सीमा डेन्टल कालेज एवं हास्पिटल ऋषिकेश में जांच के बाद मीना को अपने इलाज की उम्मीद जगी। सीमा डेन्टल कालेज एवं हास्पिटल के चेयरमैन डा. अमित गुप्ता की सहायता से रोगी का इलाज ओरल सर्जरी विभाग में अत्याधुनिक तकनीक फाइबर आप्टिक के माध्यम से किया गया। ओरल एवं मैक्सिलोफेसियल सर्जन डा. अमित अग्रवाल, प्रोफेसर एवं हेड आफ द डिपार्टमेंन्ट प्रोफेसर डा. आर मुथुनाघई, ओरल सर्जरी प्रोफेसर डा. मुदित अग्रवाल की देखरेख में ओरल सर्जरी की टीम ने पांच घंटे की कड़ी मेहनत से सफल सर्जरी को अंजाम दिया। मरीज ने बताया कि अब वह 20 साल बाद अपना मुंह सही प्रकार से खोल पा रही और खाना खा पा रही हैं। इन कठिन परिस्थितियों में सर्जरी टीम के सदस्यों ने उसका मनोबल बनाए रखा। इस सफल सर्जरी में सिस्टर लिसी थामस, बिपेन्द्र मिश्रा व किशोरी रयाल का सहयोग रहा।