– एचआईएमएस में बेसिक व रिजिड ब्रोंकोस्कोपी पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित
ब्यूरो,ऋषिकेश
हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में रोगियों के उपचार में ब्रोंकोस्कोपी का इस्तेमाल कैसे और बेहतर हो सकता है इसको लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान विशेषज्ञ चिकित्सकों ने प्रतिभागियों को ब्रोंकोस्कोपी की बारीकियों व महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की।
कार्यशाला का उद्घाटन एसआरएचयू के कुलपति डा.राजेंद्र डोभाल ने किया। उन्होंने कहा कि ब्रोंकोस्कोपी फेफड़ों की बीमारियों के रोगियों का इलाज करने वाले चिकित्सकों और स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं के लिए एक आवश्यक उपकरण है। उन्होंने प्रतिभागियों से आह्वान किया वह कार्यशाला का अधिक से अधिक लाभ उठाये।
राजीव गांधी कैंसर हास्पिटल के निदेशक डा. राजीव गोयल ने बताया कि ब्रोंकोस्कोपी प्रक्रिया में एक पतले टूल के माध्यम से रोगी के श्वसन, गले, श्वासनली, और वायुमार्ग तंत्र की जांच की जाती है।
उन्होंने बताया कि ब्रोंकोस्कोपी के द्वारा वायुमार्ग, श्वासनली लिम्फ नोड्स (लसीकापर्व), छाती, गले और फेंफड़ो में होने वाली परेशानियों की जांच कर रोगों का पता लगाया जा सकता है।
कार्यशाला की आयोजन समिति की सचिव डा. राखी खंडूरी ने कहा कि ब्रोंकोस्कोपी का प्रयोग श्वसन तंत्र से संबंधित समस्याओं का पता लगाने के लिए जैसे रक्तस्त्राव, सांस लेने में तकलीफ या बहुत पुरानी हो चुकी खांसी, छाती, लिम्फनोड या फेंफड़ों में कोई तकलीफ पाई गई हो, तो उन जगहों से जांच के लिए बलगम या ऊतकों के सैंपल निकालने के लिए किया जाता है। इसके अलावा कैसर की जांच को और पुख्ता करने, वायुमार्ग को ब्लॉक करने वाले पदार्थ को हटाने के लिए, वायुमार्ग की जांच और उसके उपचार, रक्तस्त्राव को नियंत्रित करने के लिए यह भी यह प्रक्रिया अपनाई जाती है।
इस दौरान एम्स दिल्ली, एम्स ऋषिकेश, एसआरएमएस बरेली, पीजीआई चंडीगढ़ व राजीव गांघी कैंसर इंस्टीट्यूट से विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को स्किल्स एवं सिमूलेशन लैब में हैंड्स आन प्रशिक्षण दिया। इस अवसर पर महानिदेशक (शैक्षणिक विकास) डा. विजेन्द्र चौहान, निदेशक अस्पताल सेवाएं डा. हेमचंद्र पाण्डे, डा. सुशांत खंडूरी, डा. वरूणा जेठानी, डा. मनोज कुमार, डा. राहुल कुमार गुप्ता आदि उपस्थित रहे।
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December 11, 2024