


– यात्रा की सफलता के लिए संत महामंडलेश्वरों ने आयोजित की बैठक
ब्यूरो,ऋषिकेश:
गंगा एवं पर्यावरण संरक्षण के संकल्प को साकार करने के लिए प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली गौमुख संकल्प यात्रा अगले वर्ष 24 से 29 जून तक संचालित होगी। यात्रा की तैयारी को लेकर आयोजित बैठक में सभी प्रमुख संतों ने इस यात्रा को सक्रिय सहयोग देने का आश्वासन दिया।
पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन जन चेतना अभियान गोमुख संकल्प यात्रा की तैयारी को लेकर श्रीराम जानकी धाम में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता महामंडलेश्वर स्वामी दयाराम दास महाराज ने की। संचालन युवराज संत गोपालाचार्य महाराज ने किया।
इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन जन चेतना अभियान गोमुख संकल्प यात्रा के संयोजक महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज ने बताया कि इस बार 24 जून से 29 जून तक होने वाली गोमुख संकल्प यात्रा में जगद्गुरु आचार्य महामंडलेश्वर श्री महंत की अध्यक्षता में निकाली जाएगी। यात्रा के दौरान पढ़ने वाले पड़ाव में नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण संवर्धन के लिए नुक्कड़ नाटक भी किए जाएंगे
बैठक में सर्वसम्मति से पर्यावरण संरक्षण संवर्धन जन चेतना अभियान गोमुख संकल्प यात्रा 2025 में होने वाली यात्रा के लिए महामंडलेश्वर स्वामी दयाराम दास महाराज अध्यक्ष विरक्त वैष्णो मंडल समिति,
युवराज स्वामी गोपालाचार्य महाराज अध्यक्ष अखिल भारतीय संत समिति,
महामंडलेश्वर भारत भूषण दास महाराज, महामंडलेश्वर चक्रपाणि दास महाराज, महंत आलोक हरि महाराज, महंत छोटन दास, महाराज महंत रवींद्र दास महाराज, को गोमुख संकल्प यात्रा का संरक्षक चुना गया।
इस बार की यात्रा संत महात्माऔ के सानिध्य में की जाएगी। महामंडलेश्वर स्वामी दयाराम दास महाराज ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए गोमुख संकल्प यात्रा 16 वर्षों से निरंतर कार्य कर रही है, जो की उत्तराखंड के लिए बड़े गौरव की बात है। यात्रा के सदस्यों द्वारा लोगों को पर्यावरण के लिए जागरूक किया जाता रहा है। यह यात्रा वसुदेव कुटुंबकम की भावना के साथ आगे बढ़ रही है। यह यात्रा आज उत्तराखंड ही नहीं पूरे विश्व में मां गंगा की अविरल धारा को समस्त जनमानस के हृदय में अमृत कलश के रूप में पहुंच रही है। यही कारण है कि समस्त संत समाज आज पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन जन चेतना अभियान गोमुख संकल्प यात्रा के साथ संरक्षक के रूप में हमेशा खड़ा रहेगा। गोमुख संकल्प यात्रा आज देश-विदेश में भी मां गंगा की छाप छोड़ रही है।
