


कोटद्वार: नगर निकाय चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहे है, तमाम दावेदारों के नाम खुलकर सामने आने लगे है। बात करें हम ऐतिहासिक नगरी कोटद्वार कण्वाश्रम की तो यहां सत्ता धारी दल से लगभग आधा दर्जन से ऊपर नाम सामने आए है, किन्तु जो प्रमुख नाम सामने है, उनका तालुक्क उत्तराखंड के बड़े नेताओं से सीधे है, और अपने दल के कार्यकर्ताओं व अपने नेता के आशिर्वाद से हर कोई इस चुनाव के समर में उतरने को तैयार है।
सत्ताधारी दल के उन प्रमुख नेताओं की बात करे जिन पर बड़े नेताओं का सीधे नाम जुड़ा है, उनमें सबसे पहले तो पूर्व विधायक शेलेन्द्र रावत है। जिनकी पैरवी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत कर रहे है, सूत्रों की माने तो प्रदेश अध्यक्ष भट्ट की वो पंसद बताए आ रहे है, लेकिन मुख्यमंत्री, सांसद, व विधायक ऊनको अपना आशिर्वाद दे पाएंगे यह अभी संशय का विषय है। क्योंकि त्रिवेंद्र व धामी के सम्बंध जगजाहिर है, त्रिवेंद्र अपने बयानों से सरकार को घेरते नजर आते है, वह भट्ट के साथ मिलकर शेलेन्द्र की नाव पार लगाना चाहते है। सूत्रों की माने तो इस विषय पर उन्होंने सांसद से बात की है, किन्तु अभी तक बात का कोई रिजल्ट नही है। कोटद्वार विधायक ऋतु खण्डूड़ी क्या शेलेन्द्र को चाहेगी, क्योंकि वो दो बार उनके खिलाफ चुनाव लड़े है, व कोटद्वार में ऋतु के पिता की हार का जिम्मेदार किसको ठहराया गया था। यह कोटद्वार ही नही पूरा प्रदेश जानता है।
दूसरा नाम भाजपा प्रदेश प्रवक्ता बिपिन कैंथोला का है, जो लगातार तीन प्रदेश अध्यक्षों के साथ प्रवक्ता है, उनको गढ़वाल सांसद बलूनी का सबसे नजदीकी माना जाता है। बलूनी की राजनीतिक यात्रा में वह लगातार साथ खड़े रहे, चाहे बलूनी का समय कैसा भी रहा हो। सूत्रों की माने तो कैंथोला बिना बलूनी की सहमति के कोई भी कदम नही उठाते है, यह साफ है कि अगर उन्होंने दावेदारी की है तो अपने नेता से जरूर सहमति ली होगी।
पिछले कई सालों से कैंथोला कोटद्वार में विभिन्न सामाजिक कार्यों से समाज के विभिन्न वर्गों में लागातार सक्रिय है, चेरिटी के माध्यम से वह समाज मे अपनी अगल पहचान बनाने में भी सफल रहे है। उनके तालमेल कोटद्वार विधायक से बेहतर बताया जाता है,पार्टी में भी वह कोई विवादित चेहरा नहीं है।
तीसरा नाम भाजपा जिलाध्यक्ष वीरेंद्र रावत का है, जो कि भाजपा उपाध्यक्ष शेलेन्द्र बिष्ट की कृपा से अध्यक्ष बनने में कामयाब हो पाए थे। वह मुख्यमंत्री के पास कई बिन्दुओ पर पत्र लिख चुके है। उनके करीबी बिष्ट से उनके सम्बन्ध जगजाहिर है, विधायक कोटद्वार से भी वह अध्यक्ष रहते अच्छा तालमेल नही बना पाए। अगला नाम सुमन कोटनाला है, जिनके समर्थन में लैंसडाउन के विधायक दलीप रावत खुलकर सामने आ चुके है। एक समिति से जुड़े लोगो के बीच क्या कहते हुवे नजर आये वह सबने सुना है, पर भाजपा में इस तरह की प्रेसर पालिटिक्स की जरूरत मोदी युग मे सिफर रहती है। इसमें कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा है कि इतनी भी जल्दी क्या थी अपनी बात पार्टी के उचित माध्यम में रखनी चाहिए। अगला नाम गो सेवा आयोग राजेंद्र अंथवाल का है जो जी पार्टी के कई पदों पर रहे है, सूत्रों की माने तो उनको भी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का समर्थन है, क्योंकि उनको पहली बार दायित्वधारी त्रिवेंद्र सरकार में बनाया गया था और जब भी त्रिवेन्द्र कोटद्वार या उसके आसपास आते है तो अंथवाल को उनके करीब देखा जाता है। चर्चा यह भी है कि लैंसडाउन विधायक दलीप रावत की कोटनाला के बाद दूसरी पसन्द राजेंद्र अंथवाल है। सूत्रों की माने तो दलीप रावत ने अंथवाल के नाम की मजबूत पैरवी मुख्यमंत्री के दरबार तक कि है। अगला नाम पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष राज गौरव नोटियाल का है। नौटियाल पूर्व विधायक शेलेन्द्र के करीबी रहे है। उनके समय मे वह सत्ता का केंद्र रहे है, पर उनके पार्टी से जाने के बाद उनको नुकसान तो हुआ पर वह पार्टी में विभिन्न दायित्व पर काम करते रहे है। इन सभी बातों से यह साफ हो जाता है कि कोटद्वार सीट कितनी हॉट है। क्योंकि सभी आला नेता यहां अपना वर्चस्व कायम रखना चाहते है, अब इन दावेदारों की प्रतिष्ठा तो टिकट के लिए लगी ही है, पर उनके आला नेताओं की प्रतिष्ठा उनसे ज्यादा दांव पर लगी है कि वो अपने राजनीतिक वंश को कैसे आगे बढ़ाते है, पर यह साफ है कि हर नेता अपने राजनीतिक वंश को स्थापित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाएगा, अब सबको इन्तजार है कि कौन से बड़े नेता अपना वर्चस्व बचाने में कामयाब हो पाते है।
