




– हृषिकेश वसंतोत्सव की गढ़वाली भजन संध्या
ऋषिकेश: हृषिकेश वसंतोत्सव की गढ़वाली भजन संध्या लोक गायक प्रीतम भरतवाण के नाम रही। प्रीतम के जागरों का जादू श्रद्धालुओं के सिर चढ़ कर बोला, देर शाम तक श्रद्धालु जागर और भजनों की प्रस्तुतियों पर झूमते रहे।
श्री भरत मंदिर में आयोजित भजन संध्या का शुभारंभ पूर्व महापौर अनीता ममगाईं, श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य महाराज, महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज ने संयुक्त रूप से किया। शुक्रवार शाम को गढ़वाली भजन संध्या का विधिवत है शुभारंभ प्रीतम भरतवाण ने ढोल दमाऊं की धुन पर माता की डोली के साथ शुभ संध्या से किया। इसके बाद उन्होंने अपने परिचित अंदाज में शिवजी कैलाश रैंदिना.. जागरों की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने खुद ढोल संभालते हुए माता का जागर नारेणी मेरी दुर्गा भवानी, हे जगदंबा मेरी दुर्गा भवानी.. की प्रस्तुति दी। उन्होंने उदकार हवेगे रामगंगा, मेरो हेमवंती देेश.., जै माया जै माया.., मोहना तेरी मुरुलि बाजी.., सुरलि मेरू जिला लगी गे.., कलांद्रा जागर.. की प्रस्तुति देकर श्रद्धालुओं को थिरकने पर मजबूर कर दिया। उनके गीत शिवजी कैलाश रैंदिना.., मोरी रख्यां खोली.., बांद अमरावती.., ब्लाक माला पंवाडा.., सीता पाणिकु जांदी.., गडी माला.., सुंदरा छोरी.. आदि गीतों पर कलाकारों ने आकर्षक नृत्यों की प्रस्तुति देकर महोत्सव में समा बांधा। देर रात तक श्रद्धालु प्रीतम भरतवाण के भजनों पर झूमते रहे।

