



– विश्व ग्लोब के 50 से अधिक देशों और 1000 से अधिक देशों से योग जिज्ञासुओं का प्रतिभाग
ब्यूरो,ऋषिकेश:
परमार्थ निकेतन में अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, साध्वी डा. भगवती सरस्वती, कथाकार सुश्री जया किशोरी 50 से भी अधिक देशों से आये योगाचार्यों, योग जिज्ञासुओं और योग एम्बेसडर ने दीप प्रज्वलित कर योग महोत्सव का विधिवत उद्धाटन किया। उत्तराखंड़ में यूनिफार्म सिविल कोर्ड (समान नागरिक संहिता) लागू करने हेतु माननीय मुख्यमन्त्री पुष्कर सिंह धामी को सम्मानित किया।

अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के प्रथम दिन ब्रह्ममूहुर्त से योग की विधाओं की शुरूआत हुई। अमेरिका से आये विख्यात योगाचार्य गुरूमुख कौर खालसा जी ने कुण्डलिनी साधना का अभ्यास कराया।
परमार्थ निकेतन, के दिव्य, आध्यात्मिक वातावरण में विश्व के 50 से अधिक देशों से 1000 से अधिक योग जिज्ञासुओं योग, ध्यान, प्राणायाम, आयुर्वेद, की विभिन्न विधाओं का अभ्यास कर रहे हैं।

परमार्थ निकेेतन के पवित्र शांतिपूर्ण वातावरण में ध्यान सत्र, आत्मिक सूर्योदय गायन, और पवित्र संकीर्तन का आनंद ले रहे हैं और 48 देशों से 65 प्रतिष्ठित योगाचार्य, योगियों को विभिन्न विधाओं का अभ्यास करा रहे हैं।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि योग, शिव और शक्ति का मिलन है, जिससे शान्ति व प्रेम का मार्ग प्रशस्त होता है। योग की जन्मभूमि में आकर योग केवल शरीर का नहीं बल्कि आत्मा का भी होता है। उत्तराखंड तो पूरे विश्व ग्लोब को एकत्र करने व जोड़ने के लिये योग करता है।
स्वामी चिदानन्द ने कहा कि योग का अभ्यास व्यक्ति को न केवल शारीरिक शक्ति प्रदान करता है, बल्कि आत्मिक जागरूकता और मानसिक शांति भी देता है। जब उत्तराखंड की धरती पर योग करते हैं, तो यह शरीर से अधिक, आत्मा को जोड़ने का एक प्रयास होता है।

साध्वी भगवती सरस्वती ने वैदिक संस्कृति और भीतर से दिव्यता को पहचानने के महत्व को समझाते हुए कहा, वैदिक परंपरा में हम मूल पाप में नहीं, बल्कि मूल दिव्यता में विश्वास करते हैं।
योग हमें हमारे सत्य से जोड़ता है, क्योंकि यह शरीर, मन और आत्मा के बीच गहरा संतुलन स्थापित करता है। जब हम योग का अभ्यास करते हैं, तो हम अपनी आंतरिक वास्तविकता को समझने लगते हैं। यह केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति का मार्ग है। योग के माध्यम से हम अपनी असल पहचान और दिव्यता को महसूस करते हैं, और यह हमें यह सिखाता है कि हम सिर्फ शरीर या मन नहीं हैं, बल्कि हम परमात्मा का अंश हैं। योग हमें अपने भीतर के सत्य की खोज करने और उसे जीवन में उतारने की प्रेरणा देता है।


