



ऋषिकेश: जनपद देहरादून के ऋषिकेश से सटे थाना रायवाला ने 39 वर्ष के अपने सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। खालिस्तानी आतंकवाद के दौर में एक समय ऐसा भी आया जब पुलिस कर्मियों को बंंकर में रहकर सुरक्षा करनी पड़ती थी, आतंकवाद के लिहाज से तत्काल समय में यह क्षेत्र काफी संवेदनशील रहा है। रायवाला जंक्शन होने के कारण राज्य प्राप्ति आंदोलन के वक्त आंदोलनकारी का यह प्रमुख केंद्र रहा है। कई खट्टी मीठी यादें अपने आप में संजोए थाना रायवाला को अब कोतवाली का दर्जा दिया गया है। इंस्पेक्टर बीएल भारती रायवाला कोतवाली के प्रथम कोतवाल बनेंगे।

बीते दिनों राज्य कैबिनेट ने प्रदेश के 58 थानों को उच्चीकृत करने की मंजूरी दी थी, जिनमें रायवाला भी शामिल है। रायवाला के कोतवाली बनने से प्रशासनिक व्यवस्था को ओर मजबूती मिल सकेगी।
थाना रायवाला की स्थापना 15 सितंबर 1986 को हुई थी। तब प्रथम थानाध्यक्ष के रूप में उपनिरीक्षक राकेश कोटनाला ने यह पदभार संभाला। इससे पूर्व रायवाला थाना ऋषिकेश के अंतर्गत एक पुलिस चौकी हुआ करती थी। 1986 से लेकर अब तक रायवाला में 35 थानाध्यक्ष कार्यरत रहे जिनमें जितेंद्र मेहरा व जितेंद्र चौधरी प्रशिक्षु आइपीएस शामिल हैं। यद्यपि रायवाला को अब जाकर कोतवाली में उच्चीकृत किया गया मगर थाना क्षेत्र की अति संवेदनशीलता को देखते हुए विभागीय स्तर पर यहां वर्ष 2017 से ही इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति होती रही। जिनमें प्रभारी निरीक्षक महेश जोशी, होशियार सिंह पंखोली, देवेंद्र सिंह चौहान व बीएल भारती शामिल हैं।

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आंदोलन के दौरान लगा दी थी आग
थाना रायवाला उस वक्त चर्चाओं में रहा था जब उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान, 01 सितंबर 1994 को, थाना रायवाला में आग लगा दी गई थी। इस दौरान पुलिस लाठी चार्ज में कई लोग घायल हुए थे। तब रायवाला थाना रेलवे स्टेशन के समीप एक पुराने भवन में संचालित होता था। इस घटना के बाद से करीब 300 मीटर दूर हरिद्वार-ऋषिकेश राजमार्ग पर थाने का नया भवन बनाया गया।


