



– कांफ्रेंस में 72 रिसर्च पेपर पढ़े गये, 42 डेलिगेट हुए शामिल
ऋषिकेश,उत्तराखंड:
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जौलीग्रांट व गट माइक्रोबायोटा एंड प्रोबायोटिक साइंस फाउंडेशन नई दिल्ली की ओर से माइक्रोबायोम पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेस का आयोजन किया गया। इसमें शोधकर्ताओं, विशेषज्ञों ने मानव माइक्रोबायोम और स्वास्थ्य एवं रोगों में इसकी भूमिका से संबंधित नवीनतम प्रगति और शोध निष्कर्षों पर विस्तृत चर्चा की।
आदि कैलाश सभागार में आयोजित कांफ्रेंस का शुभारंभ डॉ. स्वामी राम के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन व छात्र-छात्राओं द्वारा गुरू वंदना के साथ हुआ। मुख्य अतिथि पद्म भूषण पूर्व डीजी आईसीएमआर व जीएमपीएसएफ फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. एनके गांगुली ने मानव माइक्रोबायोम के महत्व और मानव स्वास्थ्य को बनाए रखने में इसकी भूमिका के विषय में जानकारी दी। उन्होंने चयापचय कार्यों को विनियमित करने में माइक्रोबायोम की उभरती भूमिका, माइक्रोबायोम संरचना पर आहार और जीवनशैली के प्रभाव और विभिन्न दीर्घकालिक रोगों के साथ इसके संबंध को समझाया।
एसआरएचयू के कुलपति डॉ. राजेन्द्र डोभाल ने कहा कि माइक्रोबायोम रिसर्च का क्षेत्र आज बहुत तेजी से बढ़ रहा है। यह हमारे स्वास्थ्य, बीमारियों और इलाज के तरीकों को देखने के नजरिए को पूरी तरह बदल रहा है। उन्होने कहा कि माइक्रोबायोम आज लाइफ साइंस का एक ऐसा क्षेत्र बन गया है जो भविष्य की चिकित्सा को नई दिशा देगा। प्रति कुलपति डॉ. एके देवरारी ने कहा कि इस क्षेत्र में होने वाली खोज आने वाले समय में सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाएंगी। महानिदेशक शैक्षणिक विकास डॉ. विजेन्द्र चौहान ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों व इतिहास के विषय में जानकारी दी। इससे पूर्व संयोजक डॉ. बिंदू डे ने उपस्थित अतिथियांे का स्वागत कर कांफ्रेंस के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस कांफ्रेंस में 72 रिसर्च पेपर पढ़े गये। इस दौरान कांफ्रेंस का सोविनियर का विमोचन भी किया गया।
इस अवसर पर विशेषज्ञ डॉ. नीरजा हजेला, डॉ. विनीत आहूजा, डॉ. अमित अवस्थी, डॉ. बी. शेशीकरन, डॉ. भाबतोष दास, डॉ. धीरज धोत्रे, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. विनीत शर्मा, डॉ. अनुराग वार्ष्णेय, डॉ. नवीन कुमार नवानी, डॉ. उर्मि वाजपेयी, डॉ. पूर्णिमा शर्मा, डॉ. वी सैम्यूल, डॉ. प्रियंकर डे, डॉ. बिपिन कुमार ने माइक्रोबायोम, आंत का स्वास्थ्य, चयापचय संबंधी विकार, कुपोषण से निपटने के लिए लैक्टोबैसिलस की अनूठी प्रजातियाँ, आंतों का स्वास्थ्य और पारंपरिक भोजन, आंतों का माइक्रोबायोम और यकृत रोग पर चर्चा की। कांफ्रेंस में 42 डेलिगेट सहित 25 विश्वविद्यालय के करीब 350 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। डॉ. विकास जादौन ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
