ब्यूरो,ऋषिकेश
सच्चा वैदिक संस्थान लक्ष्मण झूला के प्रतिनिधि के अनुसार रविन्द्र ब्रह्मचारी पुत्र कान सिंह ,स्वामी अजय,गजेंद्र सिंह को धोखाधड़ी, कूट रचित दस्तावेजों तथा तथा फर्जी हस्ताक्षर कर वसीयत बनाने सहित अन्य आरोपों में 17 दिसंबर 2022 को सीजेएम कोर्ट टिहरी की ओर से दी गई छह वर्ष की सजा को एडीजे टिहरी ने बरकरार रखा है।
यह मामला मुनिकीरेती थाना क्षेत्र के तपोवन स्थित सच्चा धाम वैदिक संस्थान, सच्चाधाम आश्रम से जुड़ा है। इस संबंध में सच्चा धाम वैदिक संस्थान सच्चाधाम आश्रम के अध्यक्ष व ट्रस्टी सुरेंद्र कुमार मित्तल ने मुनिकीरेती थाने में 25 जनवरी 2012 को मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें उन्होंने आश्रम में रहने वाले रविंद्र ब्रह्मचारी शिष्य स्वामी हंसराज ब्रह्मचारी मूलनिवासी खतौली मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश पर गजेंद्र सिंह पुत्र लीलू सिंह निवासी देवबंद सहारनपुर तथा अजय स्वामी पुत्र ओमप्रकाश निवासी देवबंद सहारनपुर के साथ मिलकर धोखाधड़ी करने, ट्रस्ट के संरक्षक हंसराज ब्रह्मचारी के फर्जी हस्ताक्षर कर वसीयत बनाने तथा आश्रम को खुर्दबुर्द करने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने बताया कि इस ट्रस्ट का संचालन ट्रस्ट कमेटी की ओर से किया जाता है। स्वामी हंसराज ब्रह्मचारी को वसीयत करने का अधिकार नहीं था। मगर आरोपितों ने कूटरचित दस्तावेज तैयार कर तथा आपराधिक साजिश रचते हुए वसीयत अपने नाम पर कर दी।
इस मामले में पुलिस ने 20 अप्रैल 2013 को न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। यह मामला मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट टिहरी गढ़वाल विनोद कुमार बर्मन की अदालत में विचाराधीन था। 17 दिसंबर 2022 को इस मामले में न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपित रविंद्र ब्रह्मचारी, गजेंद्र सिंह तथा अजय स्वामी को सभी आरोपों में दोषी पाया। जिसके बाद न्यायालय ने तीनों आरोपितों को आईपीसी की धारा 420 व 467 में छह वर्ष कारावास तथा 10000 रूपये जुर्माना धारा 468 में 05 वर्ष कारावास तथा 7000 रूपये जुर्माना धारा 471 में 5 वर्ष कारावास तथा 5000 रूपये जुर्माना तथा 120 बी में 3 वर्ष कारावास तथा 5000 रूपये जुर्माना की सजा सुनाई है। अर्थदंड अदा न करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। वही न्यायालय ने इस मामले में सह आरोपित हरीश चंद्र पांडे व अवतार सिंह डोबलियाल को आईपीसी की धारा 306 के तहत शर्तों के साथ क्षमादान देते हुए दोषमुक्त किया था। रविंद्र ब्रह्मचारी आदि ने इस मामले में टिहरी के यहां अपील दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने 24 जुलाई को सीजेएम टिहरी न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा है।
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December 11, 2024