


– ओबीसी आरक्षण को राजभवन और कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद समस्त आरक्षण को लेकर कवायद तेज
ऋषिकेश (हरीश तिवारी):
उत्तराखंड में 11 नगर निगम सहित नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत में निकाय चुनाव को लेकर अभी आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है राजभवन की ओर से ओबीसी आरक्षण को लेकर मंजूरी प्रदान कर दी गई थी। जिसके बाद राज्य कैबिनेट ने भी इस पर अपनी सहमति दे दी थी। सभी 11 नगर निगम सहित अन्य निकायों में अनुसूचित जाति, ओबीसी, महिला और सामान्य सीटों को लेकर अभी आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। भाजपा की और कमेटी की बैठक दिल्ली में शनिवार को होने जा रही है। इसके बाद उम्मीद है कि उत्तराखंड में निकायों की आरक्षण की स्थिति काफी हद तक स्पष्ट हो जाएगी।
भारतीय जनता पार्टी की ओर से उत्तराखंड के निकायों में आरक्षण और दावेदारों को लेकर नगर निगम प्रभारियों की तैनाती की गई थी। जिन्होंने सभी नगर निगम में जाकर दावेदारों और कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर उनकी नब्ज को टटोलना का काम किया था। सभी प्रभारियों की रिपोर्ट राज्य और केंद्रीय संगठन को भेजी जा चुकी है। भाजपा की ओर से इस मामले में कोर कमेटी का गठन किया गया है। जानकारी के मुताबिक कोर कमेटी की बैठक शनिवार दिल्ली में होने जा रही है। जिसमें राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष के शामिल होने की भी उम्मीद है। इसके अतिरिक्त कोर कमेटी में उत्तराखंड के सभी लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य, भाजपा के उत्तराखंड प्रभारी, सह प्रभार, मुख्यमंत्री, महामंत्री संगठन शामिल होंगे। इस बैठक में काफी हद तक आरक्षण को लेकर स्थिति साफ होने की उम्मीद है।
उत्तराखंड में ओबीसी आरक्षण को लेकर 11 नगर निगम समेत सभी 35 निकायों में स्थिति लगभग साफ हो गई है। 11 नगर निगम में अनुसूचित जाति के लिए एक, सामान्य वर्ग के लिए आठ और ओबीसी वर्ग के लिए दो पद रखे गए हैं। सभी नगर निगम में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण भी तय किया गया है। जिसके तहत महिलाओं के लिए तीन से चार पद आरक्षित किया जा सकते हैं। उत्तराखंड में पहली बार ओबीसी के तहत 30 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया है। इसके बाद महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। आरक्षण को लेकर सबसे ज्यादा विवाद शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के अपने गृह विधानसभा ऋषिकेश में है। नगर निगम गठन से पूर्व इस निकाय में 15 साल तक कांग्रेस के बागी निर्दलीय उम्मीदवार दीप शर्मा का कब्जा रहा है। नगर निगम बनने के बाद इस सीट को महिला के लिए आरक्षित किया गया था। इस सीट से भाजपा प्रत्याशी अनीता ममगाईं ने शानदार जीत दर्ज करते हुए भाजपा का राजनीतिक वनवास समाप्त किया था। महापौर और शहरी विकास मंत्री का यहां पर 36 का आंकड़ा देखा गया है। यही कारण है कि यहां यह खबर चल रही है इस सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया जा रहा है। इसके बाद भाजपा के भीतर उबाल आ गया है। यहां से भाजपा के सभी दावेदार सामान्य वर्ग से आते हैं, जो पूरी तरह से सक्रीय हैं। वह अपनी बात नगर निगम प्रभारी दान सिंह रावत के समक्ष उठाकर पूरा मामला उनके जरिए राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष तक पहुंचा चुके हैं। इन सभी का यह तर्क है कि ऋषिकेश नगर निगम क्षेत्र में अनुसूचित जाति वर्ग की आबादी मात्र करीब 11 प्रतिशत है। जबकि करीब सात नगर निगम क्षेत्र ऐसे हैं जहां यह आबादी ऋषिकेश से काफी अधिक है।
ऋषिकेश का मामला हाई लेवल तक पहुंचाने के बाद उम्मीद है कि कोर कमेटी में भी इस पर गंभीरता से मनन होगा।
सूत्रों के अनुसार आबादी के हिसाब से आरक्षण की जो तस्वीर सामने आ रही है उसमें कोटद्वार, ऋषिकेश, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ को सामान्य और महिला के लिए आरक्षित किया जा सकता है। रुद्रपुर, काशीपुर को सामान्य, हल्द्वानी, देहरादून को महिला सामान्य, रुड़की, हरिद्वार को ओबीसी और श्रीनगर को एससी के लिए आरक्षित किया जा सकता है।
