




– जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस आगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने हाई कोर्ट के दिसंबर 2012 के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों पर यह सुनाया फैसला
नई दिल्ली(एजेंसी):
20 वर्ष पूर्व ऋषिकेश के चर्चित मनीष चौहान हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तराखंड हाई कोर्ट के एक फैसले को रद कर दिया, जिसमें 2004 में महिला की हत्या के मामले में तीन पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस आगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने हाई कोर्ट के दिसंबर 2012 के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों पर यह फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने राज्य की अपील स्वीकार करते हुए तीन पुलिसकर्मियों सुरेन्द्र सिंह, सूरत सिंह और आषाढ़ सिंह नेगी को हत्या के लिए बरी करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया था।
ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। महिला की मौत कथित तौर पर नवंबर 2004 में पुलिस की गोलीबारी में हुई थी। हाई कोर्ट ने एक अन्य पुलिसकर्मी हेड कांस्टेबल जगदीश सिंह द्वारा दायर एक अलग अपील को भी खारिज कर दिया था, जिसने गोली चलाई थी और बाद में उसे दोषी ठहराया गया था और ट्रायल कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
पीठ ने कहा कि हेड कांस्टेबल जगदीश ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी, लेकिन 16 जनवरी 2025 को उसकी मृत्यु हो जाने के कारण इसे निस्तारित कर दिया गया। गौरतलब है कि 15 नवंबर, 2004 को ऋषिकेश पुलिस थाने को सूचना मिली कि एक कार में अवैध शराब की तस्करी की जा रही है।
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फायरिंग में मारी गई थी महिला
कांस्टेबल जगदीश सिंह ने सुरेंद्र सिंह, सूरत सिंह और आषाढ़ सिंह नेगी के साथ वाहन को रोकने के लिए एक कार में निकल पड़े। पुलिस कर्मियों ने कार को देखा और गाड़ी को रोकने का प्रयास किया। जब वाहन चालक कार नहीं रोका तो जगदीश ने गोली चलाई, जो आगे की सीट पर बैठी महिला रुड़की निवासी मनीषा चौहान को लगी, जिससे उसकी मौत हो गई। 16 नवंबर, 2004 को एक लिखित शिकायत के आधार पर पुलिस कर्मियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई थी।

