



– परमार्थ निकेतन में अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का समापन
ब्यूरो, ऋषिकेश:
परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का समापन शानीवर की शाम उत्तराखंड के राज्यपाल, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह गरिमामयी उपस्थिति में हुआ। इस विशेष अवसर पर राज्यपाल गुरमीत सिंह को उनके उत्कृष्ट योगदान और सेवाओं के लिए गंगा अवार्ड से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर 75 से अधिक देशों से 1500 से अधिक योग जिज्ञासुओं, योगाचार्यों और प्रतिभागियों का संगम हुआ, जिन्होंने योग के माध्यम से शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव किया। लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने कहा कि योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, बल्कि यह हमारे मानसिक और आत्मिक विकास में भी सहायक है। यह हमें शांति, प्रेम और एकता का संदेश देता है। आप सभी जो पूरे विश्व से परमार्थ निकेतन आये हैं, योग के ब्रांड एम्बेसेडर हैं। यहां आकर आप इस दिव्य भूमि से आर्ट आफ योग को अपने साथ लेकर जाये। उन्होंने ऊँ शान्ति की बड़ी ही सुन्दर व्याख्या की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड तप भूमि है, योग की भूमि है, संतों की भूमि है। यहां से आप सभी वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश लेकर जाये। उन्होंने भारत की सभ्यता व संस्कृति ’अतिथि देवो भव’ की भी सुन्दर व्याख्या की।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि मानवता के लिए समर्पण ही योग है। मानवता की एकता ही योग है। योग, पूरे विश्व को एकता से सूत्र में बांधता हैं। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव परिवर्तन का पर्व है। यह अद्भुत अवसर है जो हमें बताता है कि हम वास्तव में कौन हैं।
पद्मश्री कैलाश खेर ने कहा कि यह समय परिवर्तन का समय है, इसलिए हमें अपने लक्ष्य के लिए जीना चाहिए। दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, एक वे जो बात करते हैं और दूसरे वे जिनकी बात होती है। दुनिया में आगे बढ़ने के लिए ज्ञान के साथ ध्यान भी जरूरी है। हम सभी किसी विशेष उद्देश्य के लिए आए हैं।
समापन समारोह के दौरान पद्मश्री कैलाश खेर और पद्मश्री शिवमणि ने अद्भुत प्रस्तुतियों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। हंस फाउंडेशन के माध्यम से समाज सेवा में अतुलनीय योगदान देने के लिए माता मंगला जी और भोले जी महाराज को भी गंगा अवार्ड से सम्मानित किया गया।
समापन समारोह में उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री डा. धन सिंह रावत, पद्मश्री कैलाश खेर, माता श्री मंगला, संस्थापक हंस फाउंडेशन, भोले महाराज, प्रेमबाबा, प्रसिद्ध धर्म वादक पद्मश्री शिवमणि, रूना रिजवी, सूफी गायिका, डा. दीपा धनसिंह मौजूद रहे।


