



ब्यूरो,ऋषिकेश
परमार्थ निकेतन गंगा तट पर चल रही मासिक श्रीराम कथा के दूसरे दिन की कथा भक्ति और ज्ञान के साथ राष्ट्र समर्पण की अमर कथा बन गई। स्वामी चिदानन्द सरस्वती के नेतृत्व परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने भव्य तिरंगा यात्रा का आयोजन किया। ऋषिकुमारों ने आश्रम परिसर और गंगा तट पर भारत माता की जय, वंदे मातरम् और ‘जय श्रीराम के जयघोष के साथ तिरंगा रैली निकले।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि राष्ट्र है तो हम है, हमारी पहचान है और हमारा अस्तित्व है। भारतवर्ष एक ऐसा राष्ट्र है जिसकी मिट्टी में बलिदान की सुगंध और हवा में देशभक्ति की गूंज बसी हुई है। जब-जब वतन पर संकट आया है, तब-तब हमारी सेना ने अपने अदम्य साहस, अनुशासन और समर्पण से देश की अस्मिता की रक्षा की है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि सरहद पर खड़ा जवान, उनकी आंखें हमेशा जागती रहती है ताकि ये देश और देशवासी चैन की नींद सो सके। आज जब हम अपने घरों में सुरक्षित हैं, लोकतंत्र का आनंद ले रहे हैं, तो यह नहीं भूलना चहिये कि कोई सियाचिन की बर्फीली हवाओं में, कोई राजस्थान की तपती रेत पर, कोई उत्तर-पूर्व के जंगलों में, और कोई कश्मीर की घाटियों में देश की हिफाजत कर रहा है। उन्होंने कहा हम सभी अपने वीर सैनिकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें, जो अपने जीवन को समर्पित कर राष्ट्र की रक्षा में सदैव तत्पर रहते हैं।
संत मुरलीधर जी ने कहा कि उन्होंने कहा कि जैसे श्रीरामजी ने अपनी सुख-सुविधा छोड़कर 14 वर्षों का वनवास स्वीकार किया, वैसे ही आज हमारे वीर सैनिक अपनी जान की परवाह किए बिना सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं। उनका बलिदान केवल सीमा पर नहीं, हमारी सांसों में भी बसा है।


