-प्रत्येक मतदेय स्थल पर 8 बिस्तर का सेट उपलब्ध कराने के दिए हैं आदेश
ब्यूरो, ऋषिकेश
इस लोकसभा चुनाव में मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने पोलिंग पार्टियों के लिए मतदेय स्थल पर बिस्तर पहुंचने की जिम्मेदारी राजस्व उप निरीक्षक यानी लेखपालों को सौंपी गई है। पोलिंग पार्टियों को आयोग ने
स्वयं के बिस्तरों के बोझ से मुक्ति देने का निर्णय लिया है। बिस्तरों का बोझ उठाने से राजस्व उपनिरीक्षकों (लेखपाल) ने हाथ खड़े कर दिए हैं। उत्तराखंड लेखपाल संघ ने बिस्तरों की व्यवस्था के लिए 500 रुपये के अग्रिम भुगतान को नाकाफी बताया है। कहा की राजस्व निरीक्षकों के पास पहले ही काम का बोझ अधिक है।
उत्तराखंड लेखपाल संघ की ओर से मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि मतदेय स्थलों पर स्थानीय स्तर पर प्रति स्थल कम से कम आठ बिस्तर सेट उपलबध कराए जाने हैं। संघ के अध्यक्ष हुकमचंद पाल ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में एक राजस्व निरीक्षक के पास 40 से 60 मतदेय स्थल हैं। लगभग सभी जिलों में यही स्थिति है।
वर्तमान में एक बिस्तर का न्यूनतम किराया 150 रुपये है। ऐसे में प्रति मतदेय स्थल पर 500 रुपये के परिवहन भाड़े को जोड़कर 1,460 रुपये होते हैं। ऐसे में 500 रुपये के अग्रिम भुगतान पर बिस्तरों का इंतजाम कैसे संभव होगा।
लेखपाल संघ के प्रदेश महामंत्री तारा चंद्र घिल्डियाल ने कहा कि सभी लेखपाल इस समय बीएलओ, सुपरवाइजर व अन्य कार्य भी कर रहे हैं। ऐसे में 40 से 60 मतदेय स्थलों में बिस्तर की व्यवस्था और निर्वाचन के कार्य एक ही दिन में किए जाने कैसे संभव हो पाएंगे। संघ ने तमाम परिस्थितियों को देखते हुए बिस्तर प्रबंधन के काम का बहिष्कार करने का एलान किया है।